गांव के विकास की दृष्टि की एक यात्रा कथा - विकेश

 

भारत के मध्य प्रदेश व उतर प्रदेश राज्य में फैला हुआ बुंदेलखंड क्षेत्र पानी की कमी, सूखे व परिणामस्वरूप गरीबी, कुपोषण, रोजगार की कमी जैसी समस्याओं से लगातार जूझता रहा है। ऐसे में यहाँ जीवनयापन बहुत चुनौतियों भरा रहता है। साथ ही, अगर किसी वजह से किसी प्रकार की शारीरिक अक्षमता हो जाए तो जीना और भी दुभर हो जाता है।

ऐसी ही परिस्थितियों से जूझते हुए एक व्यक्तित्व की कहानी है - विकेश प्रजापति। विकेश 23 वर्ष के युवा, गाँव बनगुआ, ब्लॉक बडागांव, जिला झाँसी, उŸार प्रदेश के निवासी हैं। भयंकर गरीबी, कुपोषण व बीमारी की वजह से महज 13 वर्ष की उम्र में विकेश पूरी तरह से दृष्टिहीन हो गए। आँखों की दिक्कत की वजह से ही ये पाँचवीं से आगे अपनी शिक्षा प्राप्त करने में असक्षम हो गए।

विकेश अपने माता पिता और दो भाइयों के साथ मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते थे जो समय के साथ मंदा हो गया था। परिवार को जब मिट्टी के व्यवसाय में मुनाफा नहीं मिला तो उसके परिवार को क्रेशर साईट में जाना पड़ा। क्रेशर साईट में जहाँ एक तरफ पूरे परिवार की आमदनी काफी कम थी तो दूसरी तरफ सेहत को बहुत भारी नुकसान था।

ओराछा, मध्य प्रदेश स्थित रेडियो बुंदेलखंड के शुरूआती समय (2008) से ही विकेश उसके नियमित श्रोता रहे हैं। हाल ही में, जब उन्होंने आजीविका कार्यक्रम सुना तो उन्हें भी कोई रोजगार स्थापित करने का विचार आया। उन्होंने सोचा कि क्यों ने महिलाओं का एक समूह बनाया जाए, जिसमें उनके घर की महिलाएं भी शामिल हो। तत्पश्चात् उन्होंने 10 महिलाओं को जोड़ कर एक स्वयं सहायता समूह बनाया जिसका नाम ‘जय अंजनी माँ’ रखा। इस समूह में उनकी माँ लाड़कुंवर अध्यक्ष बनी और समूह की अन्य सदस्यों में जानकी देवी कोषाध्यक्ष बनी। इन महिलाओं के पास घर का काम पूरा कर कुछ समय खाली रहता था, जिसमें वे समूह के कार्य को करने के लिए तैयार हो गई जिससे आय की वजह से अति उत्साहित थी।

विकेश ने आय उपार्जन के अन्य स्रोतो की खोज में, व्यवसाय स्थापित करने से संबंधित डेवलपमेंट ऑल्टरनेटिव्स संस्था से अन्य प्रकार की और भी जानकारियां ली। फिर महिला स्वयं सहायता समूह के साथ मिलकर बकरी पालन और दोना पत्तल के व्यवसाय को खोलने की योजना बनाई।

विकेश की पहल व रेडियो बुंदेलखंड टीम की मदद से इस स्वयं सहायता समूह को बैंक से 1,20,000 रूपये लोन प्राप्त हुई। जिसमें दोना पŸाल की मशीन खरीदी गई और बकरियां खरीद कर व्यवसाय इन महिलाओं द्वारा चलाया गया। आज विकेश की पहल व कुछ कर गुजरने की चाहत से ‘जय अंजनी माँ’ स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ। बकरी पालन से 3000 रूपया और दोना पŸाल से 2000 रूपया प्रति माह एक महिला कमाती है। कुल मिलाकर स्वयं सहायता समूह की प्रति महिला की प्रतिमाह आय लगभग 5000 रूपया हो जाती है। समूह ने बैंक का लोन भी वापस कर दिया है। व्यवसाय के सही तरह से चलने व बैंक लोन के प्रबंधन में विकेश का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस तरह समूह से जुडी सभी महिलाएं आज आत्मनिर्भर हो गई हैं।

अपने गांव के विकास से संबंधित हर सूचना ये रेडियो बुंदेलखंड को लगातार देते रहते हैं। गांव में पंचायत क्यों जरूरी है, अभिशासन का क्या मतलब है, जैसे विकासात्मक मुद्दों पर लोगों को लगातार जागरूक करते है। ग्राम सभा से संबंधित सूचना व अन्य प्रकार की जागरूकता के प्रचार प्रसार के लिए रेडियो बुंदेलखंड से लगातार जुड़े रहते हैं। रेडियो में इन्होंने अपना साक्षात्कार व समय-समय पर विकास से संबंधित अपने विचारों से लोगों को उत्साहित करते रहते हैं। गांव के विकास से संबंधित सभी सूचना रेडियो के रिपोटर्रो को लगातर देते है, जिससे इनके गांव का तेजी से विकास हो सके।

विकेश रेडियो बुंदेलखंड से अपने जुड़ाव को कुछ इस तरह शब्दों में बयान करते हैंः

“रेडियो बुन्देलखंड का योगदान मेरे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। आज मैं रेडियो बुन्देलखंड के माध्यम से अपने विचारों को विलेज रिपोर्टर के तौर पर तमाम लोगों तक पहुंचाता हूं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत निगरानी समिति का अध्यक्ष हूँ और अपनी जिम्मेवारी पूरी कर रहा हूँ और रेडियो बुन्देलखंड प्रबंधन समिति का सदस्य होने के नाते में रेडियो के कार्यक्रमों में समय-समय पर अपने सुझाव भी साझा करता हूँ।“

चंद्र प्रकाश निरंजन
cpniranjan@devalt.org

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