झांसी की सुदामापुरी कॉलोनी की गलियों में एक आम-सी सुबह थी, लेकिन उस सुबह अनिता निरंजन के जीवन में एक असाधारण मोड़ आने वाला था। दो बच्चों की मां, पढ़ाई में MA तक शिक्षित, लेकिन वर्षों से घर की चारदीवारी में कैद एक पहचान, एक ग्रहणी पर भीतर कुछ था जो ठहरा नहीं था। एक सवाल, एक बेचैनी, "क्या मैं सिर्फ इतना ही कर सकती हूं?"